School Recognition Rules – अब वक्त आ गया है जब प्राइवेट स्कूलों को सिर्फ चार दीवारी और रंगीन बोर्ड के भरोसे मान्यता नहीं मिलेगी। सरकार ने स्कूलों की गुणवत्ता सुधारने के लिए बड़ा कदम उठाया है। खासतौर से उन स्कूलों के लिए जो बिना मान्यता के चल रहे हैं और जिनके पास न तो ढंग की बिल्डिंग है, न स्टाफ और न ही पढ़ाई का सही माहौल।
राज्य सरकार ने साफ कर दिया है कि अब जो भी निजी स्कूल सीबीएसई से जुड़ना चाहते हैं, उन्हें हर हाल में तय मानकों को पूरा करना होगा। इसमें सिर्फ पढ़ाई ही नहीं, बल्कि स्कूल का इन्फ्रास्ट्रक्चर, टीचर्स की क्वालिटी, लाइब्रेरी और लैब्स जैसी चीज़ें भी शामिल हैं।
पंजीकरण तो लेना ही होगा, वरना स्कूल बंद
पिछले साल सरकार ने ऑनलाइन पोर्टल के ज़रिए सभी प्राइवेट स्कूलों से मान्यता के लिए आवेदन मांगे थे। इसमें 23 हजार से ज्यादा स्कूलों ने अप्लाई किया। अब इन स्कूलों की एक-एक करके जांच होगी।
सरकार ने साफ कहा है कि बिना जांच के कोई भी स्कूल CBSE से मान्यता नहीं ले सकेगा। यानी पहले पूरी छानबीन होगी, फिर ही आगे की प्रक्रिया शुरू होगी।
हर जिले में होगी स्कूलों की जांच, अफसरों की टीम तैयार
अब तक CBSE खुद ही स्कूलों की पूरी जांच करता था, जिसमें काफी वक्त लग जाता था। लेकिन अब नई व्यवस्था के तहत यह काम राज्य सरकार को सौंप दिया गया है।
राज्य सरकार ने हर जिले में एक टीम बनाई है जो स्कूलों का निरीक्षण करेगी। इस टीम का नेतृत्व जिलाधिकारी या डिप्टी कलेक्टर करेंगे और इसमें जिला शिक्षा अधिकारी यानी DEO भी शामिल होंगे।
टीम स्कूल के क्लासरूम, लैब्स, लाइब्रेरी, पानी की सुविधा, खेल के मैदान जैसी चीजों की जांच करेगी और देखेगी कि स्कूल में बच्चों को पढ़ाई के लिए सही माहौल मिल भी रहा है या नहीं।
CBSE को NOC देना होगा ज़रूरी
अगर कोई स्कूल CBSE से मान्यता चाहता है, तो उसे पहले अपने जिले के शिक्षा अधिकारी से NOC यानी अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना होगा। इसके बिना मान्यता के लिए अप्लाई भी नहीं कर सकते।
NOC का मतलब है कि जिला प्रशासन ने स्कूल को मान्यता देने में कोई आपत्ति नहीं जताई। ये एक तरह से ग्रीन सिग्नल होता है CBSE के लिए कि अब वह बाकी प्रक्रिया शुरू कर सकता है।
CBSE अब किन बातों पर रखेगा नज़र?
अब CBSE स्कूलों के फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर पर कम और शैक्षणिक स्तर पर ज्यादा ध्यान देगा। जैसे कि –
- क्या स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक योग्य हैं
- क्या उन्हें सही वेतन और सुविधाएं मिल रही हैं
- क्या स्कूल में अच्छी लैब और लाइब्रेरी है
- क्या बच्चे वास्तव में सीख रहे हैं या सिर्फ परीक्षा पास कर रहे हैं
- क्या पाठ्यक्रम सही से समझाया जा रहा है
इन सब चीजों की जांच के बाद ही CBSE स्कूल को मान्यता देगा।
अच्छे स्कूलों की होगी पहचान, अभिभावकों को भी फायदा
इस नई व्यवस्था का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि अब केवल बिल्डिंग और फीस से स्कूल की पहचान नहीं होगी, बल्कि स्कूल की असली पहचान उसकी पढ़ाई से होगी।
अब अभिभावक भी समझ सकेंगे कि कौन सा स्कूल सिर्फ नाम का प्राइवेट स्कूल है और कौन सा स्कूल वाकई उनके बच्चों को अच्छी शिक्षा देने की क्षमता रखता है। इससे अच्छे स्कूलों को बढ़ावा मिलेगा और घटिया स्कूलों पर लगाम लगेगी।
मान्यता मिलने के बाद भी चलेगी निगरानी
यहीं पर बात खत्म नहीं होती। स्कूलों को मान्यता मिलने के बाद भी सरकार उन पर नज़र रखेगी। अगर कोई स्कूल तय नियमों का पालन नहीं करता या बच्चों को पढ़ाई के नाम पर सिर्फ फीस वसूलता है, तो उसकी मान्यता रद्द की जा सकती है।
इसका मतलब ये है कि स्कूलों को अब पूरी तरह से जिम्मेदार बनना होगा – बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
अब तक बिना मान्यता और बुनियादी सुविधाओं के चल रहे प्राइवेट स्कूलों के दिन लद चुके हैं। सरकार की सख्ती से एक तरफ जहां शिक्षा की गुणवत्ता सुधरेगी, वहीं दूसरी तरफ अभिभावकों को भी सही स्कूल चुनने में आसानी होगी।
अब समय है कि स्कूल सिर्फ नाम के लिए नहीं, बल्कि शिक्षा के स्तर पर अपनी पहचान बनाएं। वरना न मान्यता मिलेगी और न ही छात्रों का भरोसा।