Property Possession – आजकल अपने मकान को किराए पर देना आम बात हो गई है। लोग एक्स्ट्रा इनकम के लिए प्रॉपर्टी किराए पर दे देते हैं, लेकिन अगर थोड़ी सी लापरवाही हो जाए तो यही किराएदार आपकी मुसीबत बन सकता है। कई बार ऐसा भी देखा गया है कि किराएदार मकान खाली करने से इनकार कर देता है, और तो और कुछ केसों में वह कब्जे का दावा भी करने लगता है। ऐसे में ज़रूरी हो जाता है कि आप कुछ बेसिक बातों का ध्यान रखें ताकि बाद में पछताना न पड़े।
किराएदार कैसे बना सकता है मकान का मालिक?
अब आप सोच रहे होंगे कि भला किराएदार मकान का मालिक कैसे बन सकता है? तो जनाब, इसके पीछे है ‘एडवर्स पजेशन’ का कानूनी कॉन्सेप्ट। लिमिटेशन एक्ट 1963 के तहत अगर कोई किराएदार लगातार 12 साल तक मकान पर बिना किसी रुकावट के कब्जा बनाए रखता है, और इस दौरान मकान मालिक ने उसे न हटाया और न ही कोर्ट में कोई कार्रवाई की, तो वो उस प्रॉपर्टी का मालिक बनने का दावा कर सकता है।
कब वैध माना जाता है कब्जा?
सिर्फ रहने से ही कब्जा वैध नहीं हो जाता। इसके लिए कुछ शर्तें होती हैं, जैसे:
- किराएदार का कब्जा लगातार 12 साल तक बना रहना चाहिए
- मकान मालिक ने इस दौरान कोई कानूनी एक्शन न लिया हो
- कब्जा पब्लिकली हो, यानी सभी को दिख रहा हो कि वो वहां रह रहा है
अगर इन शर्तों में से कोई भी पूरी नहीं होती, तो किरायेदार का दावा कमजोर पड़ सकता है। लेकिन फिर भी मकान मालिक को शुरुआत से ही सावधानी बरतनी चाहिए।
कैसे करें अपनी प्रॉपर्टी की सुरक्षा?
सबसे पहले तो किराया समझौता यानी रेंट एग्रीमेंट एकदम साफ-सुथरा और मजबूत होना चाहिए। उसमें ये चीजें ज़रूर शामिल करें:
- किराया कितनी रकम है और कितने समय के लिए मकान दिया जा रहा है
- किरायेदार को मकान पर कोई हक नहीं मिलेगा
- मकान का इस्तेमाल कैसे होगा, उसकी सीमाएं तय होनी चाहिए
- किराए की रसीद और भुगतान की शर्तें
हर 11 महीने में रेंट एग्रीमेंट रिन्यू करवाएं
कई लोग एक बार एग्रीमेंट बनवा कर सालों-साल बिना रिन्यू कराए छोड़ देते हैं। यही सबसे बड़ी गलती होती है। आपको हर 11 महीने में रेंट एग्रीमेंट रिन्यू कराना चाहिए, ताकि कब्जा करने की संभावना खत्म हो जाए।
प्रॉपर्टी का टाइम-टू-टाइम निरीक्षण जरूरी है
मकान देकर भूल मत जाइए। समय-समय पर प्रॉपर्टी का दौरा करें और देखें कि किरायेदार वहां क्या कर रहा है। किराया समय पर मिल रहा है या नहीं, मकान का सही इस्तेमाल हो रहा है या नहीं, इन सब बातों पर नज़र बनाए रखें।
मरम्मत या बदलाव पर रोक होनी चाहिए
अगर किरायेदार बिना आपकी इजाजत के कोई बड़ी मरम्मत या बदलाव करता है, तो उसे रोकिए। ऐसा करना एडवर्स पजेशन की तरफ एक कदम हो सकता है। हर काम के लिए लिखित अनुमति ज़रूरी बनाइए।
कानूनी सलाह ज़रूर लें
भले ही अभी कोई दिक्कत न हो, लेकिन किसी वकील से समय-समय पर सलाह लेना फायदेमंद रहता है। इससे आप जान पाएंगे कि आपकी स्थिति क्या है और अगर भविष्य में कोई विवाद हुआ तो कैसे निपटा सकते हैं।
किराएदार से रिश्ते अच्छे रखें, पर लापरवाही न करें
अच्छे व्यवहार का मतलब ये नहीं कि आप सारे नियम भूल जाएं। व्यवहार अच्छा हो लेकिन नियमों पर समझौता न करें। लंबे समय तक रह रहे किरायेदार के मामले में थोड़ी एक्स्ट्रा सतर्कता बरतनी जरूरी हो जाती है।
कानूनी जानकारी ही आपकी सबसे बड़ी ताकत है
आखिर में एक बात याद रखिए कि अगर आपको कानून की बेसिक जानकारी है और सारे दस्तावेज पक्के हैं, तो कोई भी किरायेदार आपकी प्रॉपर्टी पर कब्जा नहीं कर पाएगा। एक मजबूत रेंट एग्रीमेंट, समय पर निरीक्षण, किराए की रसीदें और कानूनी सलाह ये सब मिलकर आपकी संपत्ति को सुरक्षित रखने में मदद करते हैं।
तो भाई अगर आप भी अपनी प्रॉपर्टी को किराए पर देने की सोच रहे हैं या पहले से ही दे चुके हैं, तो इन बातों का ध्यान रखें। थोड़ी सी सतर्कता और समझदारी से आप भविष्य की बड़ी परेशानी से बच सकते हैं। आखिर आपकी मेहनत की कमाई से खरीदी गई संपत्ति यूं ही किसी के कब्जे में न चली जाए, इसके लिए आज ही जरूरी कदम उठाइए।