GNSS Toll System – अब हाईवे पर सफर करने वालों को बड़ा झटका लगने वाला है, क्योंकि सरकार ने FASTag की जगह अब एक नया और हाईटेक सिस्टम लाने का फैसला किया है – GNSS टोल सिस्टम। इस नए सिस्टम के आते ही FASTag की छुट्टी हो जाएगी। अगर आपने समय रहते GNSS को नहीं अपनाया, तो आप पर भारी जुर्माना लग सकता है और कानूनी कार्रवाई का सामना भी करना पड़ सकता है।
तो चलिए जानते हैं कि आखिर ये GNSS टोल सिस्टम क्या है, कैसे काम करता है और क्यों इसे अपनाना जरूरी हो गया है।
GNSS टोल सिस्टम क्या है?
GNSS यानी ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम एक सैटेलाइट आधारित टोल वसूली प्रणाली है। इसमें टोल प्लाजा पर रुकने की कोई जरूरत नहीं होगी। आपकी गाड़ी की लोकेशन और तय की गई दूरी के आधार पर टोल अपने आप आपके अकाउंट से कट जाएगा। मतलब – न तो लाइन में लगने की टेंशन और न ही चिल्लर की झंझट।
क्या है इस सिस्टम की खास बातें?
- टोल अब तय दूरी के आधार पर कटेगा।
- पूरा सिस्टम ऑटोमैटिक और डिजिटल होगा।
- गाड़ी की लोकेशन सैटेलाइट के जरिए ट्रैक की जाएगी।
- सफर के दौरान रुकने की कोई जरूरत नहीं होगी, जिससे टाइम और फ्यूल दोनों की बचत होगी।
FASTag और GNSS में क्या है अंतर?
अब तक हम FASTag के जरिए टोल प्लाजा पर रुक कर टोल चुकाते थे। वहां RFID स्कैन होता था और फिक्स अमाउंट कटता था। मगर GNSS सिस्टम में कोई फिक्स अमाउंट नहीं होगा। आपने जितनी दूरी तय की, उतना ही टोल कटेगा। यानी अगर आप दिल्ली से जयपुर की बजाय आधे रास्ते से लौट आते हैं, तो केवल आधी दूरी का ही टोल कटेगा।
GNSS कैसे करेगा काम – आसान भाषा में समझिए
मान लीजिए आप दिल्ली से जयपुर जा रहे हैं। पुराने सिस्टम में पूरे सफर का टोल देना पड़ता था, चाहे आप मिडवे में ही क्यों न उतर जाएं। मगर GNSS में ऐसा नहीं होगा। जितनी दूरी आपने कवर की है, टोल उतना ही कटेगा। सब कुछ ट्रैक होगा सैटेलाइट से, एकदम पारदर्शी ढंग से।
GNSS सिस्टम को अपनाने का तरीका
सरकार ने GNSS को अपनाने की प्रक्रिया भी साफ कर दी है:
- सबसे पहले अपनी गाड़ी में GNSS डिवाइस लगवाएं। ये डिवाइस सरकार द्वारा अधिकृत एजेंसियों से मिल जाएगा।
- इसे वाहन के GPS सिस्टम से जोड़ा जाएगा।
- आपका गाड़ी रजिस्ट्रेशन, बैंक अकाउंट और मोबाइल नंबर अपडेट रहना चाहिए ताकि टोल आसानी से कटे।
- आप मोबाइल ऐप से अपनी ट्रांजैक्शन डिटेल्स भी ट्रैक कर सकते हैं।
GNSS अपनाने के क्या फायदे हैं?
- सफर के दौरान कोई रुकावट नहीं होगी
- फ्यूल की बचत होगी क्योंकि बार-बार स्टार्ट-स्टॉप नहीं करना पड़ेगा
- जितनी दूरी उतना ही टोल कटेगा, कोई ज्यादा वसूली नहीं
- गाड़ियों की मूवमेंट ट्रैक हो सकेगी जिससे ट्रांसपोर्ट सिस्टम और बेहतर होगा
- जाम और प्रदूषण दोनों कम होंगे
अगर आपने GNSS सिस्टम नहीं अपनाया तो?
सरकार साफ कर चुकी है कि FASTag को जल्द ही पूरी तरह बंद कर दिया जाएगा। अगर आपने समय पर GNSS नहीं अपनाया, तो:
- टोल पर भारी जुर्माना देना पड़ेगा
- गाड़ी जब्त की जा सकती है
- आपको कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है
सरकार की मदद भी मिलेगी
सरकार चाहती है कि लोग इस सिस्टम को जल्दी और आसानी से अपनाएं, इसलिए कई सुविधाएं दी जा रही हैं:
- GNSS डिवाइस पर 6 महीने तक सब्सिडी मिलेगी
- राज्यवार फिटमेंट सेंटर की लिस्ट जारी की गई है
- हेल्पलाइन और मोबाइल ऐप की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है
क्या सभी वाहनों पर लागू होगा GNSS?
जी हां, GNSS सिस्टम सभी कमर्शियल और प्राइवेट गाड़ियों पर लागू होगा जो नेशनल हाइवेज पर चलती हैं। शुरुआत में इसे चार पहिया कमर्शियल गाड़ियों पर लागू किया जा रहा है, फिर धीरे-धीरे बाकी वाहनों पर भी लागू होगा।
GNSS टोल सिस्टम भारत की परिवहन व्यवस्था में एक बड़ा और जरूरी बदलाव है। ये सिस्टम न सिर्फ समय और पैसे की बचत करेगा, बल्कि ट्रैफिक और पर्यावरण पर भी इसका अच्छा असर पड़ेगा। अगर आप चाहते हैं कि सफर में कोई दिक्कत न हो और आप जुर्माने से भी बचें, तो समय रहते GNSS सिस्टम को अपनाना ही समझदारी है।