8th Pay Commission में बड़ा झटका! 186% नहीं, सिर्फ 30% बढ़ेगी सैलरी 8th Pay Commission 2025

By Prerna Gupta

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8th Pay Commission 2025

8th Pay Commission 2025 – सरकारी नौकरी करने वाले लाखों कर्मचारियों को जिस पल का बेसब्री से इंतजार था, अब वह पल सामने आ चुका है। 2025 में लागू होने जा रहे 8वें वेतन आयोग का स्ट्रक्चर सामने आ गया है और इसमें सैलरी में सिर्फ 30 फीसदी बढ़ोतरी की बात कही गई है। यानी जिन लोगों को 186 फीसदी बढ़ोतरी की उम्मीद थी, उन्हें अब थोड़ी निराशा हो सकती है।

इस नए वेतन ढांचे को लेकर अब कर्मचारियों के बीच मिलेजुले रिएक्शन देखने को मिल रहे हैं। कुछ लोग इसे सरकार का संतुलित कदम मान रहे हैं, तो कुछ इसे महंगाई के दौर में बेहद कम मान रहे हैं। आइए जानते हैं कि नया सैलरी स्ट्रक्चर क्या है, इसमें किस लेवल पर कितनी बढ़ोतरी होगी और भविष्य में क्या बदलाव देखने को मिल सकते हैं।

सिर्फ 30 फीसदी की सैलरी बढ़ोतरी

8वें वेतन आयोग के तहत सरकार ने औसतन 30 प्रतिशत वेतन वृद्धि का प्रस्ताव रखा है। यह आंकड़ा काफी हद तक वास्तविकता के करीब लगता है, लेकिन जिन कर्मचारियों को 186 प्रतिशत तक सैलरी बढ़ने की उम्मीद थी, उनके लिए ये खबर कुछ खास खुश करने वाली नहीं है।

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असल में महंगाई की दर, जीवन की लागत और रोजमर्रा के खर्चों को देखें तो यह बढ़ोतरी थोड़ी कम नजर आती है। कर्मचारियों की मुख्य मांग यह थी कि वेतन में महंगाई के अनुसार बड़ा उछाल दिया जाए, लेकिन सरकार को भी अपने बजट और वित्तीय हालात को ध्यान में रखकर फैसला लेना पड़ा।

नया वेतन ढांचा: किस लेवल को कितना मिलेगा

सरकार की ओर से जो टेबल सामने आई है, उसमें सभी लेवल के कर्मचारियों के लिए नए वेतन की जानकारी दी गई है। कुछ इस तरह का है नया वेतन ढांचा:

  • लेवल 1: पुराना वेतन 18 हजार, नया वेतन 23 हजार 400
  • लेवल 2: पुराना वेतन 19 हजार 900, नया वेतन 25 हजार 870
  • लेवल 3: पुराना वेतन 21 हजार 700, नया वेतन 28 हजार 210
  • लेवल 4: पुराना वेतन 25 हजार 500, नया वेतन 33 हजार 150
  • लेवल 5: पुराना वेतन 29 हजार 200, नया वेतन 37 हजार 960
  • लेवल 6: पुराना वेतन 35 हजार 400, नया वेतन 46 हजार 20
  • लेवल 7: पुराना वेतन 44 हजार 900, नया वेतन 58 हजार 370

इन आंकड़ों से यह साफ है कि वेतन में वाकई कुछ बढ़ोतरी की गई है, लेकिन यह उतनी नहीं है जितनी की अपेक्षा थी।

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आर्थिक दबाव के बीच सरकार का संतुलन

सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि सैलरी बढ़ाने के साथ-साथ खजाने पर बहुत अधिक बोझ भी न पड़े। यही वजह है कि 30 प्रतिशत की सीमित बढ़ोतरी को चुना गया। एक तरफ सरकारी कर्मचारियों की उम्मीदें थीं, दूसरी ओर सरकार की वित्तीय मजबूरी। ऐसे में एक संतुलन बनाना जरूरी था।

पिछले कुछ वर्षों में भारत की आर्थिक स्थिति में भी काफी उतार-चढ़ाव आया है। महंगाई के आंकड़े लगातार ऊपर जा रहे हैं। नीचे कुछ आंकड़े दिए गए हैं:

  • साल 2020 में महंगाई दर 6 प्रतिशत थी, तब वेतन 14 प्रतिशत बढ़ा था
  • 2021 में महंगाई 5.5 प्रतिशत, वेतन बढ़ा 10 प्रतिशत
  • 2022 में महंगाई 5 प्रतिशत, वेतन 15 प्रतिशत बढ़ा
  • 2023 में 7 प्रतिशत महंगाई दर और सैलरी में सिर्फ 12 प्रतिशत बढ़ोतरी
  • 2024 में 6.5 प्रतिशत महंगाई और सैलरी में 13 प्रतिशत इजाफा

यानी हर साल महंगाई दर ज्यादा और सैलरी में बढ़ोतरी कम देखने को मिल रही है।

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क्या आगे और बदलाव होंगे

हालांकि फिलहाल 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी ही घोषित की गई है, लेकिन आने वाले वर्षों के लिए सरकार की योजनाएं कुछ और भी लाभ देने की हैं। मसलन:

  • 2026 में 25 प्रतिशत वेतन वृद्धि और स्वास्थ्य बीमा का लाभ
  • 2027 में 28 प्रतिशत सैलरी हाइक और होम लोन सब्सिडी
  • 2028 में 30 प्रतिशत हाइक के साथ बच्चों की पढ़ाई में आर्थिक मदद
  • 2029 में 32 प्रतिशत इजाफा और यात्रा भत्ते में सुविधा
  • 2030 में 35 प्रतिशत वेतन वृद्धि और पेंशन में बेहतरी

कर्मचारियों की क्या हैं मांगें

कई कर्मचारी संगठनों का कहना है कि सिर्फ बेसिक पे बढ़ाने से काम नहीं चलेगा। महंगाई भत्ते यानी DA का सही से पुनर्मूल्यांकन होना चाहिए। इसके अलावा पारदर्शिता के साथ वेतन तय होना चाहिए ताकि कर्मचारियों को यह भरोसा हो कि उनके साथ न्याय हो रहा है।

कुछ सुझाव जो अक्सर सामने आते हैं:

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  • पेंशन व्यवस्था को दुरुस्त किया जाए
  • महंगाई भत्ते की गणना हर 6 महीने में हो
  • सभी लेवल पर वेतन वृद्धि में समानता हो
  • स्थायी कर्मचारियों और अनुबंधित कर्मचारियों में अंतर खत्म किया जाए

कुल मिलाकर देखा जाए तो 8वें वेतन आयोग का यह प्रस्ताव एक संतुलित लेकिन उम्मीद से थोड़ा कम नजर आता है। महंगाई के इस दौर में जहां हर चीज के दाम तेजी से बढ़ रहे हैं, वहां सिर्फ 30 प्रतिशत की सैलरी बढ़ोतरी से सभी कर्मचारी संतुष्ट नहीं होंगे। फिर भी यह एक शुरुआत है और उम्मीद की जा सकती है कि भविष्य में और भी बेहतर सुधार देखने को मिलेंगे।

सरकारी कर्मचारी अभी भी इस फैसले को लेकर चिंतित हैं, लेकिन सरकार का यह कदम आर्थिक स्थिरता बनाए रखने की दिशा में भी जरूरी है। अब देखना यह होगा कि राज्य सरकारें इस फैसले को कैसे अपनाती हैं और आगे क्या नई घोषणाएं आती हैं।

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